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Surya namaskar yoga & steps: सूर्य नमस्कार के महत्व को समझाने के लिए हमारे धर्म ग्रंथो में अनादि काल से चर्चा होती आयी हैं। आज के समय में भी सूर्य एक रहस्य हैं जिसके बारे में सम्पूर्ण जानकारी हैं और लगातार खोज़ जारी हैं। लेकिन एक बात तो तय हैं कि यह अनादि काल से हमे अपनी ओर आकर्षित करता आया हैं। सूर्य हमे हमेशा से जीवनदायिनी ऊर्जा देता आया हैं। सूर्य केवल हमारे शरीर को नहीं बल्कि हमारे सूक्ष्म शरीर को भी जीवनदायिनी ऊर्जा प्रदान करता हैं। आज के युग (कलयुग) में सूर्य को आग का गोला कहा जाए या कोई ग्रह कहा जाये लेकिन प्राचीन काल में हमारे ऋषि -मुनियो द्वारा इसके अनेक रहस्यो को जान लिया गया था।
सूर्य नमस्कार की एक आवृत्ति में 12 स्थितियां होती हैं। हर एक आसान का अपना एक मंत्र होता हैं। जिसमे प्रत्येक क्रिया का अपना लाभ हैं। प्रतिदिन नियमानुसार किया जाने वाला सूर्य नमस्कार दूसरे व्यायामों की अपेक्षा ज्यादा लाभकारी सिद्ध होता हैं। सूर्य देव का जितना वर्णन करें उतना ही कम हैं। अतः अब हम सूर्य देव को नमस्कार करने की पद्धति के बारे में जानेंगे।
सूर्य नमस्कार – Surya Namaskar Yoga & Steps in Hindi
सूर्य नमस्कार का शाब्दिक अर्थ सूर्य को अर्पण या नमस्कार करना हैं। अतः सूर्य नमस्कार करने का मुख्य कारण यह हैं कि सूर्य द्वारा हमे जीवनदायिनी ऊर्जा मिलती हैं। सूर्य के प्रति कर्तज्ञ प्रकट करना हैं।
सूर्य नमस्कार का फलश्रुति मंत्र – Surya namaskar yoga mantra in hindi
आदित्यस्य नमस्कारान, ये कुर्वन्ति दिने दिने।
आयुः प्रज्ञा बलंवीर्य तेजस तेषान च जायते।।
अर्थ: जो लोग प्रतिदिन सूर्य नमस्कार करते हैं उन्हें आयु, प्रज्ञा (अच्छी बुद्धि), बल वीर्य और तेज प्राप्त होता है।
आदिदेव नमस्तुभ्यं प्रसीद मम भास्कर।
दिवाकर नमस्तुभ्यं प्रभाकर नमोस्तु ते।।
अर्थ: हे आदिदेव भास्कर ! आपको प्रणाम है, आप मुझ पर प्रसन्न हों, हे दिवाकर ! आपको नमस्कार है, हे प्रभाकर ! आपको प्रणाम है।
ध्यान रखने योग्य बातें – Important Things For Surya Namaskar Yoga & Steps in Hindi
सूर्य नमस्कार को करने का सबसे अच्छा समय ब्रह्ममुहूर्त का होता है। शौच करने के पाद स्नान करें और प्रसन्न रहें। स्वच्छ एवं ढीले कपडे पहने। वातावरण शांत होना चाहिए। जिसके लिए सुबह का समय ही बेहतर रहता है। इस समय जलवायु भी शुद्ध रहती है। इसीलिए सूर्य नमस्कार के लिए सुबह का समय उपयुक्त रहता है। यदि किसी कारणवश प्रातः काल न कर पाएं तो खाली पेट शाम के समय किया जा सकता है।
8 वर्ष से ज्यादा आयु वाले सभी व्यक्ति यह आसन कर सकते हैं। जिन लोगों को रीढ़ की हड्डी की समस्या, उच्च रक्तचाप, ह्रदय रोग व हर्निया आदि की समस्या हो वे किसी गुरु के निर्देश में ही यह आसन करें।
सूर्य नमस्कार योग के सम्पूर्ण लाभ – Surya Namaskar Yoga & Steps Benefits in Hindi
- इसमें शारीरिक और मानसिक दोनों स्तरों पर ऊर्जा संतुलित रहती है।
- सूर्य नमस्कार करने से पूरे शरीर का व्यायाम हो जाता है।
- यह प्राण शक्ति प्रदान करता है।
- रीढ़ की हड्डी के बार-बार आगे तथा पीछे मुड़ने के कारण शारीरिक लाभ के साथ-साथ कुंडलिनी जागरण में भी इसका अधिक महत्त्व है।
- सूर्य नमस्कार मानसिक शांति देता है।
- स्मरण शक्ति भी बढ़ती है।
- बल, वीर्य व तेज में वृद्धि होती है।
- कब्ज की समस्या दूर होती है और बुढ़ापे से बचाता है।
- स्त्रियां अपने शरीर को सूंदर, आकर्षक और सुड़ौल बना सकती हैं।
- सूर्य नमस्कार समस्त बिमारियों का नाश करता है।
- विद्यार्थियों को सूर्य नमस्कार करने से बहुत फायदे मिलते हैं। सूर्य के समान तेजवान बनाता है।
सूर्य नमस्कार योग और चरण – Surya Namaskar Yoga & Steps in Hindi
सूर्य नमस्कार की एक आवृत्ति में 12 स्थितियां होती हैं। हर एक आसान का अपना एक मंत्र होता हैं। जिसमे प्रत्येक क्रिया का अपना लाभ हैं। प्रतिदिन नियमानुसार किया जाने वाला सूर्य नमस्कार दूसरे व्यायामों की अपेक्षा ज्यादा लाभकारी सिद्ध होता हैं। अतः अब हम सूर्य देव को नमस्कार करने की पद्धति के बारे में अच्छे से जानते हैं।
1. प्रार्थना मुद्रा/नमस्कारासन/प्रणामासन – Prayer Pose/Namaskarasana/Pranamasana Yoga & Steps in Hindi
विधि: प्रार्थना की मुद्रा में अपने पैरों के पंजों को मिलाकर और हाथों को जोड़कर पूर्व दिशा की तरफ सीधे खड़े हो जाएँ। अपने पूरे शरीर को शिथिल (ढीला) कर दें और आगे की प्रक्रिया को करने के लिए तैयार हो जाएँ।
श्वासक्रम: अपनी सांस को सामन्य रखें।
ध्यान: अनाहत चक्र पर।
मंत्र: ॐ मित्राय नमः अर्थात हे विश्व के मित्र सूर्य, आपको नमस्कार। बीज मंत्र – ॐ ह्रां।
लाभ: शरीर में रक्त चाप को सामान्य करता है जिससे एकाग्रता और शांति प्रदान होती है। इसे नमस्कार मुद्रा भी कहा जाता है।
2. हस्तउत्तानासन – Hasta Uttanasana Yoga & Steps in Hindi
विधि: प्रार्थना की मुद्रा के बाद अपने दोनों हाथों को ऊपर की और उठायें। अपनी भुजाओं को फैलाएं नहीं बल्कि कन्धों की चौड़ाई जितना ही रखें। अपने सिर और ऊपरी शरीर को पीछे की और झुकाएं। अपनी भुजाओं को कान के सीध में ही रखें।
श्वासक्रम: भुजाओं को ऊपर उठाते समय सांस लें।
ध्यान: विशुद्धि चक्र पर।
मंत्र: ॐ रवये नमः अर्थात हे संसार में चहल पहल लाने वाले सूर्यदेव, आपको नमस्कार। बीज मंत्र – ॐ ह्रीं।
लाभ: पेट की जमा हुई चर्बी को हटाता है। पाचन तंत्र बेहतर होता है। भुजाओं और कन्धों की मांसपेशियों का व्यायाम होता है।
3. हस्त पादासन/पाद हस्तासन – Hasta padasana Yoga & Steps in Hindi
विधि: हस्तउत्तानासन की विधि के बाद सामने की तरफ झुकते हुए दोनों हाथों को पंजों के बगल में स्पर्श करें। अपने माथे को घुटनो के साथ स्पर्श करें और पैरों को सीधा ही रखें।
श्वासक्रम: सामने की तरफ झुकते हुए सांस छोड़ें और अधिक से अधिक श्वास बाहर निकालने के लिए अपने पेट को संकुचित करें।
ध्यान: स्वाधिष्ठान चक्र पर।
मंत्र: ॐ सूर्याय नमः अर्थात हे संसार को जीवन देने वाले सूर्यदेव, आपको नमस्कार। बीज मंत्र – ॐ ह्रूं।
लाभ: पेट की जमा हुई चर्बी को हटाता है। पाचन तंत्र बेहतर होता है। पेट एवं अमाश्य के दोषों को नष्ट करता है। रीढ़ की हड्डी को लचीला बनाता है। कब्ज का नाश करता है। रक्त संचार को भी तेज करता है।
4. अश्व संचालनासन/एक पाद प्रसारणासन – Horse Steering / One Leg Prasaranasana Yoga & Steps in Hindi
विधि: अब बाएं पैर को जितना पीछे लेकर जा सकते हैं उतना लेकर जाएँ और बाएं घुटने को जांघ को जमीन के साथ स्पर्श करें। दाएं जांघ को उसी जगह पर स्थिर रखते हुए घुटने को मोड़ें। भुजाओं को अपने स्थान पर सीधा ही रखें। अब सिर को पीछे की और उठायें। दृष्टि सामने ऊपर की और शरीर को धनुषाकार की तरह बनायें।
श्वासक्रम: बाएं पैर को पीछे ले जाते समय श्वास लें।
ध्यान: आज्ञा चक्र पर।
मंत्र: ॐ भानवे नमः अर्थात हे प्रकाशपुंज, आपको नमस्कार। बीज मंत्र – ॐ ह्रेँ।
लाभ: पेट की जमा हुई चर्बी को हटाता है। पाचन तंत्र बेहतर होता है। पेट एवं अमाश्य के दोषों को नष्ट करता है। रीढ़ की हड्डी को लचीला बनाता है। कब्ज का नाश करता है। रक्त संचार को भी तेज करता है।
5. पर्वतासन/भूधरासन – Parvatasana/Bhudharasana Yoga & Steps in Hindi
विधि: अपने शरीर का वजन दोनों हाथों पर स्थिर करते हुए दाएं पैर को सीधा करके पंजे को बाएं पंजे के साथ मिलाकर रखें। अब कूल्हों को ज्यादा ऊपर की और उठायें एवं सिर को दोनों भुजाओं के बीच में लाएं। ध्यान रहे एड़ियां जमीन से ऊपर न उठें और घुटनों की तरफ देखते हुए शरीर को ऊपर की और उठायें।
श्वासक्रम: कूल्हों को उठाते हुए सांस छोड़ें।
ध्यान: विशुद्धि चक्र पर।
मंत्र: ॐ खगाय नमः अर्थात हे आकाश में गति करने वाले देव, आपको नमस्कार। बीज मंत्र – ॐ ह्रौं।
लाभ: सिर के झुके होने के कारण रक्त संचार बढ़ता है। इससे चेहरे पर ताजगी आने के साथ-साथ आँखों की रौशनी एवं बालों का झड़ना बंद होता है। भुजाओं और पैरों का अच्छा व्यायाम होता है। इससे लचीलापन बढ़ता है और रीढ़ की हड्डी मजबूत होती है।
6. अष्टांग नमस्कारासन/प्रणिपातासन – Ashtanga Namaskarasana / Pranipatasana Yoga & Steps in Hindi
विधि: दोनों घुटनों को मोड़ते हुए शरीर को जमीन की तरफ इस प्रकार झुकाएं कि दोनों घुटने, छाती, दोनों हाथों के पंजे और ठुड्डी जमीन का स्पर्श करे। कूल्हे और पेट जमीन से थोड़ा ऊपर उठे होने चाहिए।
श्वासक्रम: सांस को रोककर रखें।
ध्यान: मणिपूरक चक्र पर।
मंत्र: ॐ पूष्णे नमः अर्थात हे संसार के पोषक, आपको नमस्कार। बीज मंत्र – ॐ ह्रः।
लाभ: छाती और फेफड़ों में ऊर्जा का निर्माण होता है और उनमे शक्ति प्रदान होती है। पैरों और हाथों की मासपेशियां भी मजबूत होती हैं।
7. भुजंगासन – Bhujangasana Yoga & Steps in Hindi
विधि: हाथों को सीधा करें। शरीर के अगले हिस्से सिर, छाती और कमर के भाग को ऊपर उठाते हुए सिर तथा गर्दन को पीछे की और झुकाएं।
श्वासक्रम: छाती एवं पेट को ऊपर उठाते हुए सांस लें।
ध्यान: स्वाधिष्ठान चक्र पर।
मंत्र: ॐ हिरण्यगर्भाय नमः अर्थात हे ज्योतिर्मय, आपको नमस्कार। बीज मंत्र – ॐ ह्रां।
लाभ: पाचनतंत्र में तनाव उत्पन्न कर रक्त संचार बढ़ता है इससे पाचन क्रिया को क्रियाशील बनाता है। फेफड़ों को सुचारु करता है। कब्ज को हटाता है। रीढ़ की हड्डी को लचीला बनाता है।
8. पर्वतासन/भूधरासन – Parvatasana/Bhudharasana Yoga & Steps in Hindi
विधि: यह प्रक्रिया 5 की ही पुनरावृति (तरह) है। अपने शरीर का वजन दोनों हाथों पर स्थिर करते हुए दाएं पैर को सीधा करके पंजे को बाएं पंजे के साथ मिलाकर रखें। अब कूल्हों को ज्यादा ऊपर की और उठायें एवं सिर को दोनों भुजाओं के बीच में लाएं। ध्यान रहे एड़ियां जमीन से ऊपर न उठें और घुटनों की तरफ देखते हुए शरीर को ऊपर की और उठायें।
श्वासक्रम: कूल्हों को उठाते हुए सांस छोड़ें।
ध्यान: विशुद्धि चक्र पर।
मंत्र: ॐ मरीचये नमः अर्थात हे किरणों के स्वामी, आपको नमस्कार। बीज मंत्र – ॐ ह्रीं।
लाभ: सिर के झुके होने के कारण रक्त संचार बढ़ता है। इससे चेहरे पर ताजगी आने के साथ-साथ आँखों की रौशनी एवं बालों का झड़ना बंद होता है। भुजाओं और पैरों का अच्छा व्यायाम होता है। इससे लचीलापन बढ़ता है और रीढ़ की हड्डी मजबूत होती है। कुछ योग शिक्षक इसे अधोमुख श्वानासन भी कहते हैं।
9. अश्व संचालनासन/एक पाद प्रसारणासन – Horse Steering / One Leg Prasaranasana Yoga & Steps in Hindi
विधि: यह प्रक्रिया 4 की ही पुनरावृति (तरह) है। प्रक्रिया 4 में बायां पैर पीछे जाता है और इसमें दायां पैर पीछे जायेगा। अब दाएं पैर को जितना पीछे लेकर जा सकते हैं उतना लेकर जाएँ और दाएं घुटने को जांघ को जमीन के साथ स्पर्श करें। बाएं जांघ को उसी जगह पर स्थिर रखते हुए घुटने को मोड़ें। भुजाओं को अपने स्थान पर सीधा ही रखें। अब सिर को पीछे की और उठायें। दृष्टि सामने ऊपर की और शरीर को धनुषाकार की तरह बनायें।
श्वासक्रम: दाएं पैर को पीछे ले जाते समय श्वास लें।
ध्यान: आज्ञा चक्र पर।
मंत्र: ॐ आदित्याय नमः अर्थात हे संसार के रक्षक, आपको नमस्कार। बीज मंत्र – ॐ ह्रूं।
लाभ: पेट की जमा हुई चर्बी को हटाता है। पाचन तंत्र बेहतर होता है। पेट एवं अमाश्य के दोषों को नष्ट करता है। रीढ़ की हड्डी को लचीला बनाता है। कब्ज का नाश करता है। रक्त संचार को भी तेज करता है।
10. हस्त पादासन/पाद हस्तासन – Hasta padasana Yoga & Steps in Hindi
विधि: यह प्रक्रिया 3 की ही पुनरावृति (तरह) है। हस्तउत्तानासन की विधि के बाद सामने की तरफ झुकते हुए दोनों हाथों को पंजों के बगल में स्पर्श करें। अपने माथे को घुटनो के साथ स्पर्श करें और पैरों को सीधा ही रखें।
श्वासक्रम: सामने की तरफ झुकते हुए सांस छोड़ें और अधिक से अधिक श्वास बाहर निकालने के लिए अपने पेट को संकुचित करें।
ध्यान: स्वाधिष्ठान चक्र पर।
मंत्र: ॐ सवित्रे नमः अर्थात हे विश्व को उत्पन्न करने वाले, आपको नमस्कार। बीज मंत्र – ॐ ह्रैं।
लाभ: पेट की जमा हुई चर्बी को हटाता है। पाचन तंत्र बेहतर होता है। पेट एवं अमाश्य के दोषों को नष्ट करता है। रीढ़ की हड्डी को लचीला बनाता है। कब्ज का नाश करता है। रक्त संचार को भी तेज करता है।
11. हस्तउत्तानासन – Hasta Uttanasana Yoga & Steps in Hindi
विधि: यह प्रक्रिया 2 की ही पुनरावृति (तरह) है। प्रार्थना की मुद्रा के बाद अपने दोनों हाथों को ऊपर की और उठायें। अपनी भुजाओं को फैलाएं नहीं बल्कि कन्धों की चौड़ाई जितना ही रखें। अपने सिर और ऊपरी शरीर को पीछे की और झुकाएं। अपनी भुजाओं को कान के सीध में ही रखें।
श्वासक्रम: भुजाओं को ऊपर उठाते समय सांस लें।
ध्यान: विशुद्धि चक्र पर।
मंत्र: ॐ अर्काय नमः अर्थात हे पवित्रता को देने वाले सूर्यदेव, आपको नमस्कार। बीज मंत्र – ॐ ह्रौं।
लाभ: पेट की जमा हुई चर्बी को हटाता है। पाचन तंत्र बेहतर होता है। भुजाओं और कन्धों की मांसपेशियों का व्यायाम होता है।
12. प्रार्थना मुद्रा/नमस्कारासन/प्रणामासन – Prayer Pose/Namaskarasana/Pranamasana Yoga & Steps in Hindi
विधि: यह प्रक्रिया 1 की ही पुनरावृति (तरह) है। प्रार्थना की मुद्रा में अपने पैरों के पंजों को मिलाकर और हाथों को जोड़कर पूर्व दिशा की तरफ सीधे खड़े हो जाएँ। अपने पूरे शरीर को शिथिल (ढीला) कर दें और आगे की प्रक्रिया को करने के लिए तैयार हो जाएँ।
श्वासक्रम: अपनी सांस को सामन्य रखें।
ध्यान: अनाहत चक्र पर।
मंत्र: ॐ भास्कराय नमः अर्थात हे प्रकाश देने वाले सूर्य, आपको नमस्कार। बीज मंत्र – ॐ ह्रः।
लाभ: शरीर में रक्त चाप को सामान्य करता है जिससे एकाग्रता और शांति प्रदान होती है। इसे नमस्कार मुद्रा भी कहा जाता है।
निष्कर्ष – Conclusion For Surya Namaskar Yoga & Steps in Hindi
सूर्य नमस्कार शरीर में कई तरह के लाभ देता है। इससे कई प्रकार की बिमारियों से छुटकारा मिलता है। सभी को सूर्य नमस्कार का निरंतर अभ्यास जरूर करना चाहिए। इससे लगभग सारे शरीर का व्यायाम हो जाता है। चर्बी को कम किया जा सकता है। शारीरिक एवं मानसिक रूप से तंदरुस्त बना जा सकता है।
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