Bhastrika pranayama benefits in hindi: भस्त्रिका प्राणायाम योग में किया जाने वाला एक अच्छा प्राणायाम है। इसे करने से शरीर को कई तरह के फायदे होते हैं। जिनके बारे में इस आर्टिकल में विस्तार से बताया गया है। योग शिक्षक और उनके शिष्य इस प्राणायाम के बारे में भली भांति परिचित होते हैं। इसीलिए जो लोग इनके पास योग सीखने के उद्देश्य से जाते हैं उन्हें भी इस प्राणायाम के बारे में जानकारी अवश्य होगी।
भस्त्रिका का अर्थ होता है धौंकनी। इस प्राणायाम में सांस खींचने और छोड़ने की गति काफी बलशाली और जोरदार होती है। जब इस प्राणायाम को किया जाता है तो सांस लेने और छोड़ने में एक ध्वनि निकलती है। जिसे धौंकनी का नाम दिया गया है। कुछ योग शिक्षकों का मानना होता है कि वह आवाज एक लौहार की धौंकनी की तरह होती है।
भस्त्रिका प्राणायाम को करना काफी सरल होता है और हर कोई व्यक्ति आसानी से इसका अभ्यास कर सकता है। भस्त्रिका प्राणायाम को करने की विधि आपको बताई गयी है। आप ध्यानपूर्वक विधि को पढ़कर भस्त्रिका प्राणायाम करने की शुरुआत कर सकते हैं।
तरह-तरह की बिमारियों का विनाशक भस्त्रिका प्राणायाम को माना जाता है। पेट से सम्बंधित रोगों और उनके उपचार के लिए इससे अच्छा प्राणायाम आपके लिए कोई और नहीं हो सकता है। आइये अब जानते हैं भस्त्रिका प्राणायाम को कैसे किया जाता है और इसके क्या-क्या फायदे शरीर को होते हैं।
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भस्त्रिका प्राणायाम करने की विधि – Bhastrika pranayama benefits in hindi
भस्त्रिका प्राणायाम करने के लिए आपको बताई हुई विधि के अनुसार अच्छे से पालन करना होगा। अन्यथा आपको इसके सभी लाभ प्राप्त नहीं होंगे। हम ऐसा बिलकुल नहीं चाहेंगे कि आपको इस प्राणायाम के दौरान परिणाम देखने को न मिलें। इसीलिए बताये हुए क़दमों को ध्यानपूर्वक पढ़ें और फिर इसे धीरे-धीरे अभ्यास करना शुरू करें।
- सबसे पहले आप समतल जगह पर चटाई के ऊपर सुखासन, वज्रासन या पद्मासन की स्थिति में बैठ जाएँ।
- आप बैठने के लिए कोई भी आसन ले सकते हैं जिसमे आप कुछ समय के लिए आराम से बैठ सकें।
- इस प्राणायाम को करने के लिए आपको अपनी रीढ़ की हड्डी और कमर को सीधा रखना है।
- अपने दोनों हाथों को घुटने के ऊपर सीधा रखें।
- अपने नाक से श्वास अर्थात सांस को अंदर की तरफ पूरे जोर से खींचे और पूरा जोर लगाते हुए एक ही बार में बाहर की तरफ छोड़ें।
- इसमें सांस लेने की गति काफी तीव्र और सशक्त होती है और साँस छोड़ने की गति भी तीव्र और सशक्त होती है।
- जब आप सांस छोड़ते हैं तो पेट पर एक जोरदार झटका लगता है और सांस छोड़ते हुए एक ध्वनि उत्त्पन्न होती है।
- पूरा जोर लगाते हुए सांस को अंदर की तरफ खींचे जिससे फेफड़े अच्छी तरह से फूल जाएँ।
- आपको पूरे जोर से सांस को बाहर छोड़ना होगा ताकि पेट पर अच्छे से जोर पड़े और फेफड़े बिलकुल सिकुड़ जाएँ।
- इस प्राणायाम के दौरान अपनी आँखों को बंद रखें और आज्ञाचक्र अर्थात माथे के बीच में ध्यान को केंद्रित करें।
- सांस लेने और छोड़ने की क्रिया में ताजगी एवं शक्ति का अनुभव करें।
- इस प्राणायम को सुबह या शाम को करना काफी फायदेमंद साबित होता है।
- आप भस्त्रिका प्राणायाम को कम से कम 20 बार करें। आपको ज्यादा लाभ प्राप्त होंगे।
- जी लोग कुंडलिनी जागरण का अभ्यास करते हैं वह वज्रासन में बैठ कर इस प्राणायाम को करें।
- अपने स्वास्थ्य के अनुसार साँस की गति धीमी, माध्यम एवं तीव्र कर सकते हैं।
- साँस अंदर खींचते वक़्त अच्छा चिंतन करें एवं बाहर छोड़ते वक़्त शरीर के रोग दूर हो रहे हैं ऐसा चिंतन करें।
भस्त्रिका प्राणायाम करने के फायदे – Bhastrika pranayama benefits in hindi
- शरीर से विषैले तत्वों का निष्कासन होता है।
- रक्त की शुद्धता एवं शारीरिक निरोगिता बढ़ती है।
- इस प्राणायाम को करने से ताजगी, शांति और प्रसन्नता आती है।
- डायबिटीज, मधुमेह और कब्ज जैसी बिमारियों का नाश होता है।
- फेफड़े मजबूत होते हैं और दमा जैसी समस्याओं से निजात मिलती है।
- मानसिक समस्याओं से छुटकारा मिलता है एवं तरोताजा महसूस करते हैं।
- कंठ जैसे रोगों में भी लाभ मिलता है और कफ को बाहर निकालता है।
- पेट की चर्बी अर्थात मोटापा कम होता है।
- शरीर के वजन को सामान्य रखता है।
- वात, पित और कफ़ का नाश होता है।
- कुंडलिनी जागरण के लिए यह प्राणायाम काफी लाभदायक है।
- पेट की मांसपेशियां मजबूत होती हैं।
- कई तरह की बिमारियों को ठीक करता है।
- पाचन तंत्र एवं लिवर की ग्रंथियों में क्रियाशीलता बढ़ जाती है।
- कैंसर जैसे रोगों में भी यह काफी लाभदायक सिद्ध होता है।
- फेफड़ों और ह्रदय भी मजबूत होते हैं।
- टॉन्सिल्स के लिए भी लाभदायक है।
- गले, मुख और नाक इत्यादि के रोगों में भी लाभ मिलता है।
- शरीर मैं शीतलता का आभास होता हैं और चेहरे पर प्रसन्नता आती है।
- स्मरण शक्ति भी तेज होती है।
- इन सभी फायदों के अलावा भी भस्त्रिका प्राणायाम के कई सारे फायदे होते हैं।
भस्त्रिका प्राणायाम करने के दौरान सावधानियाँ – Precautions while doing Bhastrika pranayama in hindi
यह प्राणायाम योग में सबसे अहम् माना जाता है इसीलिए इसे विधि पूर्वक बिलकुल ध्यान से करना चाहिए। भस्त्रिका प्राणायाम को करने के दौरान कुछ सावधानियां जरूर बरतनी चाहिए।
- अपने स्वास्थ्य के अनुसार साँस की गति धीमी, माध्यम एवं तीव्र कर सकते हैं।
- साँस अंदर खींचते वक़्त अच्छा चिंतन करें एवं बाहर छोड़ते वक़्त शरीर के रोग दूर हो रहे हैं ऐसा चिंतन करें।
- जिन लोगों के कान से पीप निकलती हो, वह लोग इसका अभ्यास न करें।
- हृदयरोगी इस प्राणायाम को धीरे-धीरे करें।
- पेट सम्बंधित बिमारियों में इस प्राणायाम का अभ्यास धीरे-धीरे करें।
- इस प्राणायाम को खाली पेट करना काफी फायदेमंद होता है।
- शुरूआत में आप साँस धीरे-धीरे लेने और छोड़ने का प्रयास करें।
- एक चक्र पूरा होने पर थोड़ा विश्राम करें और फिर से अगले चक्र की और जाएँ।
- भस्त्रिका प्राणायाम को पूरी सजगता के साथ अभ्यास करें।
- जब आपको थकान या कमजोरी महसूस होने लगे तो प्राणायाम का अभ्यास रोक दें।
- जबरदस्ती करने की कोशिश न करें। आपसे जितना होता है उतना ही करने की कोशिश करें। धीरे-धीरे अभ्यास होने पर आप इसे सही कर लेंगे।
- गर्भवती महिलायें भस्त्रिका प्राणायाम करने से परहेज करें अन्यथा उन्हें काफी पीड़ा का सामना करना पड़ सकता है।
भस्त्रिका प्राणायाम से सम्बंधित अन्य जानकारी
भस्त्रिका प्राणायाम समस्त रोगों का विनाश एवं दूर करने वाला होता है। इस प्राणायाम को बताई हुई विधि के अनुसार करने का प्रयास करें। इससे आपके शरीर को ढेरों लाभ मिलते हैं और बिमारियों से निजात मिलती है। योग में इस प्राणायम को बिमारियों का विनाशक कहा जाता है।
प्राणायाम का अभ्यास करने से ध्यान लगाने में आसानी होती है। अगर आप ध्यान लगाने का प्रयास कर रहे हैं तो भस्त्रिक प्राणायाम आपकी पूरी मदद कर सकता है। इसके साथ-साथ कुंडलिनी जागरण में भी काफी मदद मिल सकती है।
अगर आपको इसे करने की सही विधि का पता न चल पाए तो आप योग शिक्षक के पास जाकर भी सीख सकते हैं। वह आपको भस्त्रिक प्राणायाम के अलावा भी कई तरह के प्राणायम से परिचित करवाएंगे।